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जब यार देखा नैन भर / अमीर खुसरो
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Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:55, 16 दिसम्बर 2006 का अवतरण
रचनाकार: अमीर खुसरो
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जब यार देखा नैन भर दिल की गई चिंता उतर ।
ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाए कर ।।
जब आँख से ओझल भया, तड़पन लगा मेरा जिया
हक्का इलाही क्या किया, आँसू चले भर लाय कर ।
तू तो हमारा यार है, तुझ पर हमारा प्यार है
तुझ दोस्ती बिसियार है एक शब मिली तुम आय कर ।
जाना तलब तेरी करूँ दीगर तलब किसकी करूँ
तेरी जो चिंता दिल धरूँ, एक दिन मिलो तुम आय कर ।
मेरी जो मन तुम ने लिया, तुम उठा गम को दिया
तुमने मुझे ऐसा किया, जैसा पतंगा आग पर ।
खुसरो कहै बातों ग़ज़ब, दिल में न लावे कुछ अजब
कुदरत खुदा की है अजब, जब जिव दिया गुल लाय कर ।