भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्या लिखते हो खींच खींच / रामकुमार वर्मा

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:14, 9 दिसम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या लिखते हो खींच खींच,
विद्युत की उज्ज्वल रेखा?
मैंने तो नभ को केवल
पृथ्वी पर रोते देखा॥
बादल के तिरछे तन को स्थिर
मैंने कभी न पाया।
प्रातः में भी दौड़ गई
संध्या की काली छाया॥
जीवन के पहले ही क्षण में कैसा अन्तिम क्षण है?
बोलो, क्या मेरे जीवन में छिपा मृत्यु का कण है?