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और मैं लाचार पति निर्धन / कुँअर बेचैन

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काँटों में बिंधे हुए फूलों के हार-सी
लेटी है प्राण-प्रिया पत्नी बीमार-सी
और मैं लाचार पति, निर्धन ।
समय-पर्यंक
आयु-चादर अति अल्पकाय,
सिमटी-सी
समझाती जीने का अभिप्राय,
आह-वणिक
करता है साँसों का व्यवसाय
खुशियों के मौसम में घायल त्यौहार-सी
आशाएँ महलों की गिरती दीवार-सी
और मैं विमूढ़मति, आँगन।
ज्योतिलग्न लौटी
तम-पाहन से टकरायी
हृदय-कक्ष सूना,
हर पूजा भी घबरायी
मृत्युदान-याचक है,
जीवन यह विषपायी
भस्म-भरी कालिख़ में बुझते अंगार-सी
तस्वीरें मिटी हुईं टूटे श्रृंगार-सी
और मैं पतझर-गति, साजन ।