पांव-पैदल और कितनी दूर
थक गयी है देह थक कर चूर
थक गए हैं
चांद-तारे और बादल
पेड़-पौधे,वन-पत्तियां,
नदी, सागर
थक गयी धरती
समय भी थक गया भरपूर
नहीं कोई गांव,
कोई ठांव,कोई छांव
थक गयी है
जिंदगी बेदांव
और उस पर
धूप,गर्मी,शीत,वर्षा क्रूर
पांव-पैदल और कितनी दूर ...