अपनी बेटी के लिए-4 / प्रमोद त्रिवेदी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 14 मार्च 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद त्रिवेदी |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> ज़िन्दगी म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ज़िन्दगी में होने चाहिए कुच स्वाद
कुछ रस-कुछ ऊर्जा
टूटनी नहीं चाहिए लय।

माना भोलेपन का नहीं है समय
न ही समय है आलाप के विस्तार का
है यह शुद्ध हिसाबी-किताबी समय
तब भी थोड़ी तो बनी ही रहनी चाहिए
जीवन में बेवकूफ़ियाँ

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.