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अपनी बेटी के लिए-4 / प्रमोद त्रिवेदी
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ज़िन्दगी में होने चाहिए कुच स्वाद
कुछ रस-कुछ ऊर्जा
टूटनी नहीं चाहिए लय।
माना भोलेपन का नहीं है समय
न ही समय है आलाप के विस्तार का
है यह शुद्ध हिसाबी-किताबी समय
तब भी थोड़ी तो बनी ही रहनी चाहिए
जीवन में बेवकूफ़ियाँ