Last modified on 16 मार्च 2010, at 19:48

किताबे-ज़िन्दगी / अरुण कुमार नागपाल

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:48, 16 मार्च 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण कुमार नागपाल |संग्रह=विश्वास का रबाब / अरुण…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


बिखरे रहते हैं सब के सब पन्ने
इधर-उधर उड़ते
यहाँ-वहाँ गिरते
बेतरतीब

ऐसा कोई नहीं
जो काग़ज़ों को एक -एक करके उठाता
हरेक वर्क़ सँभालता
और सँवर जाती
ज़िन्दगी की किताब