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गुमनाम लोग / कुमार सुरेश
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Ganesh Kumar Mishra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:42, 22 मार्च 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: गुमनाम लोग <poem>कहेगा कोई घोल दो ज़हर हवाओं में उसके आदेश पर ज़हर …)
कहेगा कोई घोल दो ज़हर
हवाओं में
उसके आदेश पर
ज़हर घोल दिया जाएगा
कहेगा वही
काट दो सब रास्ते
उसके आदेश पर
रास्ते काट दिए जाएंगे
फिर वह कहेगा
इंकार कर दो
पहचानने से
सारे पहचान चिन्ह
मिटा दिए जाएंगे
फिर हम आएंगे
गुमनाम पहचान वाले लोग!
ज़हरीली हवाओं में सांस लेकर
टूटे रास्तों पर चलकर
करेंगे हवाओं को साफ़
जोड़ेंगे रास्तों को
सारे पहचान चिन्ह
फिर से खड़े करेंगे
खोई पहचान लौटाएंगे