मेरे पासपोर्ट का रंग / तेजेन्द्र शर्मा
रचनाकार: तेजेन्द्र शर्मा
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मेरा पासपोर्ट नीले से लाल हो गया है
मेरे व्यक्तित्व का एक हिस्सा
जैसे कहीं खो गया है
मेरी चमड़ी का रंग आज भी वही है
मेरे सीने में वही दिल धड़क़ता है
जन गण मन की आवाज़, आज भी
कर देती है मुझे सावधान !
और मैं, आराम से, एक बार फिर
बैठ जाता हूं, सोचना जैसे टल जाता है
कि पासपोर्ट का रंग कैसे बदल जाता है
भावनाओं का समुद्र उछाल भरता है
आइकैरेस सूरज के निकट हुआ जाता है
पंख गलने में कितना समय लगेगा?
धडाम! धरती की खुरदरी सतह
लहु लुहान आकाश हो गया!
रंग आकाश का कैसे जल जाता है?
पासपोर्ट का रंग कैसे बदल जाता है?
मि्त्रों ने देशद्रोही कर दिया करार
लाख चिल्लाया, लाख की पुकार
उन्हें समझाया, अपना पहलू बताया
किन्तु उन्हें, न समझना था
न समझे, न ही किया प्रयास
मित्रों का व्यवहार कैसे छल जाता है!
कि पासपोर्ट का रंग कैसे बदल जाता है
जगरांव से लुधियाना जाना,
ग्रामद्रोह कहलायेगा
लुधियाने से मुंबई में बसना
नगरद्रोह बन जायेगा
मुंबई से लंदन आने में
सब का ढंग बदल जाता है
पासपोर्ट का रंग बदल जाता है