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बेसुतूँ आसमान है मेरा / जयंत परमार

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बेसुतूँ आसमान है मेरा
सिर्फ़ वहम-ओ-गुमान है मेरा

एक दिन मैं भी जगमगाऊँगा
इक सितारे पे ध्यान है मेरा

यूँ तो कुछ भी नहीं मेरे बस में
और सारा जहान है मेरा

वक़्त की लहर दफ़्न कर देगी
रेत पर जो निशान है मेरा

लफ़्ज़ में ढूँढ़ता हूँ साया-ए-गुल
ये जुनूँ इम्तहान है मेरा