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ख़ुद गिरेबान में झाँकिए-झाँकिए / विनोद तिवारी
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ख़ुद गिरेबान में झाँकिए-झाँकिए
आप कितने सही देखिए-देखिए
झूठ मतभेद आपस में कड़वाहटें
क्या हो अंजाम फिर सोचिए-सोचिए
भीड़ में रास्ता कोई देगा नहीं
आगे आना है ख़ुद आइए-आइए
होंगी हल मुश्किलें देश की एक दिन
कुछ सकारात्मक कीजिए-कीजिए
हर दिशा डूब जाएगी संगीत में
आप भी स्वर मिला गाइए -गाइए