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माँ / नवीन सागर
Kavita Kosh से
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वह दरवाजे पर है
उस पार से बहुत बड़ी दुनिया
पार कर के दस्तक
जब दरवाजे पर होगी
तब के लिए वह रात भर
दरवाजे पर है.
वह एक भूली हुई चीज है.
भगवान के अपने लिए मौत
मेरे लिए सब कुछ मॉंगती
काम करती अपना
अकेली घर में जब तक है
घर में दिये का उजाला है.
आज मुझे उसकी याद
आ रही है अभी.
मुझे अभी उसे भूल जाना है
दरवाजा बंद होते ही
बाहर रह जाएगी वह
और दस्तक नहीं देगी.