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मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 16 / नवीन सागर
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भीतर आकाश
भीतर आकाश में तारे नहीं हैं
आकाश में
तारे देखने के लिए भीतर गया
लौटा नहीं
बाहर आकाश नहीं
बाहर तारे
जिनका मुकुट लगाए रात
हर तरफ मरी पड़ी है.