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बच्चा / लीलाधर मंडलोई
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बच्चा सात बरस का तन्हा
ढूंढे है झुलसों के बीच
हवा को सूंघे, धूप को पकड़े
चीरे घुप्प अंधेरा
देखे-गुने निर्जीव ईश्वर, कातर चीखें, काली ध्वनियां
चाहे है अम्मां के बोसे
पिता के चांटे खोजे
सुनना मांगे गुमी आवाजें, दोस्त की खिलखिल, बहन की सिसकी
अटे ढेर लाशों के कितने
किसमें प्रियजन दबे-पड़े
भटक रहा इत-उत देखे बच्चा सात बरस का तन्हा