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जगजीत सिंह को सुनने के बाद / दिनकर कुमार
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वायलिन का स्वर बरसता रहता है
अवसाद की लंबी रातों में
मधुर दिनों की स्मृतियाँ
बचपन का सावन
यौवन का चाँद
प्रियतमा का मुखडा
बिछोह की पीड़ा
वायलिन का स्वर बरसता रहता है
और मैं भीगता रहता हूँ
पिघलता रहता हूँ
पथराई हुई आँखें नम हो जाती हैं
संवेदना की सूखी हुई धरती
उर्वर बन जाती है