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तू है या तेरा साया है / नासिर काज़मी
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रचनाकार: नासिर काज़मी
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तू है या तेरा साया है
भेस जुदाई ने बदला है
दिल की हवेली पर मुद्दत से
ख़ामोशी का क़ुफ़्ल पड़ा है
चीख़ रहे हैं ख़ाली कमरे
शाम से कितनी तेज़ हवा है
दरवाज़े सर फोड़ रहे हैं
कौन इस घर को छोड़ गया है
हिचकी थमती ही नहीं 'नासिर'
आज किसी ने याद किया है