भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चंचल शबनम सा यह जीवन / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:26, 24 मई 2010 का अवतरण ("चंचल शबनम सा यह जीवन / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
चंचल शबनम सा यह जीवन,
गिरा न दे कल काल समीरण!
मत थम, निरुपम प्रणय सुरा भर,
हाला ज्वालामय हो अंतर!
क्षण क्षण यह मन नव तृष्णाकुल,
जग का मग काँटों से संकुल!
जीवन के क्षण मत खो, मूरख,
साधक, मादक मदिराऽमृत चख!