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राह में यों मत चल खै़याम / सुमित्रानंदन पंत

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राह में यों मत चल, ख़ैयाम,
डरें सब, करें सलाम!
न मसजिद ही में तुझे इमाम
बनाएँ, सुनें कलाम!
न सब में बन तू स्वयं प्रधान,
खड़े हो दें सम्मान;
मधुर बन, विनयी बन, मतिमान,
सभी को समझ समान!