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बाला सुन्दर हाला घट भर / सुमित्रानंदन पंत
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बाला सुंदर, हाला घट-भर,
उमर हमारे प्रिय सहचर नित!
उर का सुख दीपक बन हँसमुख
सुहृद् सभा करता आलोकित!
प्रेम अशन, आनन्द वसन,
तन पुलक-अंकुरित, हृदय-उल्लसित,
जो कुछ प्रियतर, सुखद मनोहर
सखे, हमारे लिए विनिर्मित!