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निस्तल यह जीवन रहस्य / सुमित्रानंदन पंत

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निस्तल यह जीवन रहस्य,
यदि थाह न मिले, वृथा है खेद!
सौ मुख से सौ बातें कहलें
लोग भले, तू रह अक्लेद!
सूक्ष्म हृदय इस मुक्ताफल का
कभी न कोई पाया बेध,
गोपन सत्य रहा नित गोपन,
भेद रहा चिर अविदित भेद!