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तेरा प्रेम हृदय में जिसके / सुमित्रानंदन पंत
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तेरा प्रेम हृदय में जिसके
हुआ अंकुरित, बना विभोर,
उसे मर्म में छिपा, अश्रु से
सींचेगा वह, प्रिय, निशि भोर!
भले परीक्षा मिस या छल से
झटके तू अपना अंचल
कभी न छोड़ेगा वह दामन
फिरे न जब तक करुणा कोर!