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रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ / गुलाब खंडेलवाल

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रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ
पूरब की यात्रा के संकट पंडित इन्हें बताओ
'घुसे न शशि मंगल के घर में
सुना विघ्न है 'रा' अक्षर में
हार गयी हूँ समझाकर मैं
तुम कुछ युक्ति लगाओ
 
'यहाँ आप ही सौ झगड़े  हैं
इनके बल पर सभी खड़े  हैं
और गोप ये गले पड़े हैं,
"ब्रज को हरि लौटाओ"
 
क्यों स्वामी ने यों सुधि खोयी!
भय है प्रीति न जागे सोयी
कहीं एक है राधा कोई
उससे इन्हें बचाओ'

रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ
पूरब की यात्रा के संकट पंडित इन्हें बताओ