भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किसी और भाषा में / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:47, 4 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर |संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर }} <…)
किसी और से
किसी और ही भाषा में
कुछ और ही कहा जा रहा था
और मैं समझ रहा था
मुझसे मेरी भाषा में मेरी बात की जा रही है
और जितना इसे मैं समझ रहा हूँ
शायद ही कोई और समझ रहा होगा!