भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँख में आसमान रखना / चंद्रभानु भारद्वाज
Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:35, 9 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रभानु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> आँख में आ…)
आँख में आसमान रखना;
एक ऊंची उड़ान रखना।
पत्थरों का मिजाज़ पढ़कर,
ठोकरों का गुमान रखना।
सिर्फ़ छू कर न लौट आना,
चोटियों पर निशान रखना।
गिद्ध नज़रें लगीं फसल पर,
खेत में इक मचान रखना।
मंजिलों पर नज़र गडा़ कर,
हौसलों को जवान रखना।
ज्ञान रखना हरिक दवा का,
रोग का भी निदान रखना।
हाथ 'भारद्वाज' माचिस,
गाँव को सावधान रखना।