भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहले थोडा सा तोला कर / विजय वाते
Kavita Kosh से
वीनस केशरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:56, 15 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=विजय वाते |संग्रह= ग़ज़ल / विजय वाते }} {{KKCatGhazal}} <poem> तल्ख़ ब…)
तल्ख़ बातें न बोला करो
पहले थोडा सा तौला करो
सामने कौन है देख कर
दिल की गांठों को खोला करो
उचें लोगों से कुछ तो डरों
अपने कद को मझोला करो
सारी दीवारें हैं खोखली
नीव को तो न पोला करो
बात कहनी है कडवी अगर
थोड़ी शक्कर भी घोला करो