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राजकुमारी-1 / नीरज दइया

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वह जा रही थी
अपने घर
बैठ कर रिक्शा में
लगी- राजकुमारी-सी !


मैंने कुछ नहीं किया
मैं जल्दी में था ।
बस खुशी छ्लकी
अपने आप ।


उसने भी
देखा होगा जल्दी में,
मगर किसे-
मुझे या खुशी को ?