भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर बनाया / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:58, 5 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>ये पहाड काटे हमने कुछ जगह समतल बनाई फीते से नापा कुछ वर्ग फुट जग…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये पहाड काटे हमने
कुछ जगह समतल बनाई
फीते से नापा
कुछ वर्ग फुट जगह अपने नाम लिखी

दीवारें उठाईं
छतें डलवाईं
रंग-रोगन किया
अपने नाम की तख्ती
दरवाजे पर लटकाई
और खुश हुए
चलो, हमारा भी मकान बना

पर
तुम्हीं हो जिसने
इसे घर बनाया !