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ताजि कै सब काम को तेरे / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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ताजि कै सब काम को तेरे
गलीन में राजहि रोज तो फेरो करै ।
तुव बाट बिलोकत ही 'हरिचंद'
जू बैठि के साँझ सबेरो करै ।
पै सही नहिं जात भई बहुतै सो
कहाँ कह लौं जिय छोरो करै ।
पिय प्यारे तिहारे लिये कब लौं
अब दूतिन को मुख हेरो करै ।