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उठहु उठहु प्रभु! त्रिभुवन-राई / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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अकाल और उपद्रव के समय गाने को

उठहु उठहु प्रभु! त्रिभुवन-राई ।
कठिन काल में होहु सहाई ।
देहु हमहिं अवलंबन भारी ।
अभय हाथ मम सीस फिराओ ।
मुरझी भुव पर सुख बरसाओ ।
पिता बिपत्ति सों हमहिं बचाओ ।
आइ सरन तुव रहे पुकारी ।