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चिड़या की बोली लिखो / मोहन आलोक
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चिड़या की बोली लिखो
फूल का रंग लिखो
निःशब्द ।
कलम कोअ आंखों से पकड़ो
बनाओ
आकाश को कागज ।
नजर को तीर की तरह गड़ाओ
और बींध दो
बादलों के पीछे के
बादल
उन बादलों के भी
पार के बादल ।
चिड़या की बोली लिखो
फूल का रंग लिखो
निःशब्द ।
अनुवाद : नीरज दइया