भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कालीबंगा-३ / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:32, 18 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem> बहुत दूर से ला कर पत्थर स्थापित किए थे देव महादेव । अभी भी पडे़ …)
बहुत दूर से
ला कर पत्थर
स्थापित किए थे देव
महादेव ।
अभी भी पडे़ हैं
कालीबंगा में
पत्थर
चमकते हैं
देवों सरीखे
परन्तु
कहां हैं
स्थापक ?
थेहड़ मौन है !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"