भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुनामी लहरों की तैयारियाँ बताती हैं / जहीर कुरैशी

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:10, 11 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जहीर कुरेशी |संग्रह=पेड़ तन कर भी नहीं टूटा / जही…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुनामी लहरों की तैयारियाँ बताती हैं
समंदरों की कलाकारियाँ बताती हैं

वो चाहता है बहुत किन्तु उड़ नहीं पाता
किसी परिन्दे की लाचारियाँ बताती हैं

हैं गीले उपले या सूखा है लकड़ियों का बदन
हमेशा चूल्हे की तैयारियाँ बताती हैं

प्रवेश रात में किसको दिया था माली ने
बलात झेल चुकीं क्यारियाँ बताती हैं

न मानता है न मानेगा बंदिशें बचपन
असंख्य बच्चों की किलकारियाँ बताती हैं

किसी गिलहरी ने खाए हैं किस कदर कोड़े
बदन पे उभरी हुईं धारियाँ बताती हैं

घटे हैं तन मगर बढ़ गए हैं तन के रोग
हमारे दौर की बीमारियाँ बताती हैं