भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सहमते स्वर-4 / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 24 अगस्त 2010 का अवतरण (सहमते स्वर-4 / शिवमंगल सिंह सुमन का नाम बदलकर सहमते स्वर-4 / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं नहीं जाता
किसी के द्वार
बिना मनुहार
अथवा समय की पुकार के

अनमांगा दण्डकारण्य भी
फलता है
लंका का स्वर्ण
सिर्फ़ जलता है-
जलता है!