भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बात बस इतनी सी थी / रविकांत अनमोल

Kavita Kosh से
Anmolsaab (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:28, 29 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रविकांत अनमोल |संग्रह= }} <poem> वो हमारे हो न पाए बात …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वो हमारे हो न पाए बात बस इतनी सी थी
और हमने सारी दुनिया से किनारा कर लिया

उनकी यादें अपने सपने दफन कर डाले कहीं
और खुद को बैठे-थाले बेसहारा कर लिया