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बुझ गई रोशनी / शेरजंग गर्ग

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बुझ गई रोशनी रफ़्ता-रफ़्ता।
खो गई हर खुशी रफ़्ता-रफ़्ता।

ढल गई शोख इश्तहारों में
वक्त की सादगी रफ़्ता-रफ़्ता।

मौत को हर लड़ाई में मारा,
पर हुई खुदखुशी रफ़्ता-रफ़्ता।

बेरुखी, बेकली के जंगल में,
जा फँसा आदमी रफ़्ता-रफ़्ता।

दोस्ती की तरह चुभी दिल में,
दुश्मनों की कमी रफ़्ता-रफ़्ता।