Last modified on 7 सितम्बर 2010, at 17:11

राख का ढेर है / मंजुला सक्सेना

Firstbot (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:11, 7 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मंजुला सक्सेना |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> राख का ढेर है …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राख का ढेर है तेरी हस्ती खोज ले आत्मा में ही मस्ती
रोशनी का कतरा हूँ बाँधोगे कैसे मिटटी में ?

लेखन काल: २८-३-२००८