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मंज़िलो की नज़र में रहना है / शेरजंग गर्ग

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मंज़िलो की नज़र में रहना है।
बस निरंतर सफर में रहना है।

काश, कुछ बाल-बाल बच जाए,
हासदों के शहर में रहना है।

बेरूखी बेदिली का मौसम है,
हाँ, हमे काँचघर में रहना है।

लोग जीने न दे करीने से,
यह हुनर तो हुनर में रहना है।

कुछ हमारी खबर नहीं उनको,
जिनको केवल ख़बर में रहना है।

कब तलक, देखिए ज़माने को,
शायरी के असर में रहना है।