भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सफ़र कर न सका / इक़बाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


ढूँढने वाला सितारों की गुज़रगाहों का
अपने अफ़कार<ref>फ़िक्र का बहुवचन/चिंताएँ</ref> की दुनिया में सफ़र कर न सका

अपनी हिकमत<ref>दुस्साहस</ref> के ख़मो-पेच<ref>उलझनों</ref> में उलझा ऐसे
आज तक फ़ैसला-ए-नफा-ओ-ज़रर<ref>लाभ-हानि का निर्णय</ref>कर न सका

जिसने सूरज की शुआओं<ref>किरणों</ref> को गिरफ़्तार किया
ज़िन्दगी की शबे-तारीक<ref>अँधेरी रातसहन कर न सका</ref>

शब्दार्थ
<references/>