भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शायरी मेरी सहेली की तरह / वर्षा सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:26, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= वर्षा सिंह |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> शायरी मेरी सह…)
शायरी मेरी सहेली की तरह ।
मेंहदी वाली हथेली की तरह ।
हर्फ़ की परतों में खुलती जा रही
ज़िन्दगी जो थी पहेली की तरह ।
मेरे सिरहाने में तक़िया ख़्वाब का
नींद आती है नवेली की तरह ।
आग की सतरें पिघल कर साँस में
फिर महकती है चमेली की तरह ।
ये मेरा दीवान ‘वर्षा’-धूप का
रोशनी की इक हवेली की तरह ।