भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जंगल में राजनीति / पूनम तुषामड़

Kavita Kosh से
Firstbot (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:16, 24 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूनम तुषामड़ |संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषाम…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जंगल में राजनीति
फिर गरमायी है
शेर, लोमड़ी, भेडिये
और सियार
फिर हो गए हैं तैयार
ढूंढ़ने लगे हैं
अपना-अपना पक्ष
करने को वार
भेड़, मृग, खरगोश
और बकरी
इन सबकी फिर से
शामत
आई है