भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार / ग्रिगोरी बरादूलिन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:09, 3 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग्रिगोरी बरादूलिन |संग्रह= }} [[Category: बेलारूसी भाष…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पता नहीं कैसे राहत पहुँचाई है
अपनी अस्पष्टता से इस अवसाद ने ।
प्यार के अंधे तर्क ने
हमें सिखाया है ऊपर उठना तर्कों से ।

तुम्हारे हाथों में भूरे प्याले में
निराशा की आँखें सुबकती रहीं
हम दोनों ख़ुशी-ख़ुशी पीते रहे
प्रेम की द्वंद्वात्मकता के लिए ।


रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह