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विपटा क स्राप / बुद्धिनाथ मिश्र
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सपटा सँ भेटल वरदान
विपटा केर स्राप भ' गेलै
की करतै यज्ञक संकल्प
उनटा जँ जाप भ' गेलै ।
पाबनि-पाबनि बाँटल लोक
बन्हकी लागल मुरेठ भेल
आखर- आखर कीलित देश
कठरा छूटल सिलेठ भेल
सदिखन जागल आँखिक लेल
सपना संताप भ' गेलै ।
तोरि गेलै खेतक सभ आरि
गाम- गाम आबिकें दहार
कत' गेलै 'बहिंगा सन मोछ'
कत' गेलै 'बज्जर केवार'
बौनवीर सभ लगैछ आइ
राजनीति नाप भ' गेलै ।
टोल-टोल अछि मसान घाट
जरइछ बारहमासा गीत
नगरक फुटपाथ पर बिकाइ
आँचर केर खूँट बन्हल प्रीत
हुनका ले' सभटा आदर्श
रमनामी छाप भ' गेलै ।