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ऐसा कहते हैं / केदारनाथ अग्रवाल

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ऐसा कहते हैं
सरकार के ‘चमचे’;
न-कुछ से अच्छा है कुछ
जो हो रहा है
सरकार के माध्यम से
इधर-उधर
देश विदेश में।

सरकार का ‘अच्छा कुछ’
न समाजवाद है-
न अध्यात्मवाद-
न भौतिकवाद-
भ्रम है भ्रम-
घटिया भ्रम
जो राजनीति में बढ़ रहा है,
बुखार की तरह चढ़ रहा है।

देशवासियों को
यह ‘अच्छा कुछ’
खल रहा है; उनका मन
सरकार पलटने का कर रहा है।

रचनाकाल: ३१-०३-१९७९