Last modified on 27 अक्टूबर 2010, at 22:57

भविष्य की पुकार / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:57, 27 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जहाँ कहीं
अप्रकाशित अंधकार है
वहाँ जाना होगा
मनुष्य के
डूब गए सूर्य को उगाना होगा
दिन की नदियाँ
स्वेद से बहाना होगा
यही आज की
भविष्य की पुकार है

रचनाकाल: २४-०९-१९६५