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गंध में उड़ रहा गुलाब / केदारनाथ अग्रवाल
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गंध में
उड़ रहा गुलाब
निर्बंध बने रहने के लिए
प्राण से मिलकर
प्राण बने रहने के लिए
रहस्य की बात रहस्य से कहने के लिए
रचनाकाल: १३-१२-१९६५