भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घंटा / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:53, 29 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)
घड़े में घुसा बैठा घंटा
न कोई खतरा
न कोई टंटा
कि बजे
फिर
दिन-दहाड़े
नींद के पहाड़ के
आगे पिछवाड़े
रचनाकाल: २६-१०-१९६७