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पुल / विनोद स्वामी

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रात भर
गुजरती है दुनिया
इसके नीचे से
तीन सौ फिट लंबा
सात फिट चौड़ा
यह रेलवे पुल
शाम होते ही
उस भीखमंगे की
चारपाई बन जाता है।
अगर गालिब इसे
सोए हुए देखता तो
अपना शेर बदल देता ।
सूर तो
देख पाता नहीं
मगर इस पर
जरूर कोई
नई बात कहता।
यही पुल
होता अगर
कबीर के जमाने में
तो वह इसे
दुनिया की
सबसे बड़ी
खाट कहता ।
कोई फक्कड़
इससे भी आगे कहता;
इस पुल पर
सोने को
जीवन का
सबसे बडा
ठाट कहता।