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धार्मिक दंगों की राजनीति / शमशेर बहादुर सिंह
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जो धर्मों के अखाड़े हैं
- उन्हे लड़वा दिया जाए !
- उन्हे लड़वा दिया जाए !
ज़रूरत क्या कि हिन्दुस्तान पर
- हमला किया जाए ! !
- हमला किया जाए ! !
मुझे मालूम था पहले हि
- ये दिन गुल खिलाएँगे
- ये दिन गुल खिलाएँगे
ये दंगे और धर्मों तक भि
- आख़िर फैल जाएँगे
- आख़िर फैल जाएँगे
तबीयत को रँगो जिस रंग में
- रँगती ही जाती है
- रँगती ही जाती है
बढ़ो जिस सिम्त में, उसकी हि
- सीमा बढ़ती जाती है ! !
- सीमा बढ़ती जाती है ! !
जो हिन्दु-मुस्लिम था वो
- सिक्ख-हिन्दु हो गया
- देखो!
- सिक्ख-हिन्दु हो गया
ये नफ़रत का तक़ाज़ा
- और कितना बढ़ गया
- देखो ! !
- और कितना बढ़ गया
हम इसके पहले भी
- मिल-जुल के आख़िर
- रहते आए थे
- रहते आए थे
- मिल-जुल के आख़िर
जो अपने भी नहीं थे,
- वो भि कब इतने
- पराए थे !
- वो भि कब इतने
हम अपनी सभ्यता के
- मानी-औ-मतलब ही
- खो बैठे
- मानी-औ-मतलब ही
जो थीं अच्छाइयाँ
- इतिहास की
- उन सबको धो बैठे
- इतिहास की
तबीयत जैसी बन
- जाती है,फिर बनती ही
- जाती है;
- जाती है;
- जाती है,फिर बनती ही
जो तन जाती है आपस में
- तो फिर तनती ही
- जाती है !
- जाती है !
- तो फिर तनती ही
हमारे बच्चे वो ही
- सीखते हैं, हम जो
- करते हैं;
- करते हैं;
- सीखते हैं, हम जो
हमें ही देखकर, वह तो
- बिगड़ते या, सँवरते हैं।
- बिगड़ते या, सँवरते हैं।
जो हश्र होता है
- फ़र्दों का, वही
- क़ौमों का होता है
- फ़र्दों का, वही
वही फल मुल्क को
- मिलता है, जिसका
- बीज बोता है !
- बीज बोता है !
- मिलता है, जिसका
ये हालत देखकर
- अपने जो दुश्मन मुल्क
- होते हैं
- अपने जो दुश्मन मुल्क
हमारी राह में वो चुपके-
- -चुपके काँटे बोते हैं !
- -चुपके काँटे बोते हैं !
हमारे धर्मों की क्या-क्या न
- वो तारीफ़ करते हैं
- वो तारीफ़ करते हैं
वो कहते हैं कि-हम तो
- आपके धर्मों पे मरते हैं
- आपके धर्मों पे मरते हैं
ये हैं कितने महान
- इनकी तो बुनियादें
- बचाना है।
- इनकी तो बुनियादें
[दरअसल, हमको लड़ाकर
उनकी बुनियादें हिलाना
है!]
ये मुल्क इतना बड़ा है
- यह कभी बाहर के
- हमले से
- यह कभी बाहर के
न सर होगा !
- जो सर होगा तो बस
- अन्दर के फ़ितने से
- अन्दर के फ़ितने से
- जो सर होगा तो बस
ये मनसूबा है-
- दक्षिण एशिया में
- धर्म के चक्कर...
- धर्म के चक्कर...
- दक्षिण एशिया में
चले !-और बौद्ध,
- हिन्दु, सिक्ख, मुस्लिम
- में रहे टक्कर !
- में रहे टक्कर !
- हिन्दु, सिक्ख, मुस्लिम
वो टक्कर हो कि सब कुछ
- युद्ध का मैदान
- बन जाए !
- बन जाए !
- युद्ध का मैदान
कभी जैसा नहीं था, वैसा
- हिन्दुस्तान बन जाए ! !
- हिन्दुस्तान बन जाए ! !