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फूल हो के / रमेश रंजक
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फूल हो के
टहनियों की छातियाँ उठने लगी हैं
गीत मेरे
अब न खा जाना कहीं धोखे
फूल हो के
रंग आये हैं
लुभाने पाँव लेकर
जिस तरह
मल्लाह आये नाव लेकर
(इन्द्रधनु वातावरण में
खो न जाना फूल हो के)
गीत मेरे
बड़ी मुश्किल से तुम्हें
मोड़ा गया धूप ढो के