भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ठुमुक-ठुमुक-ठुम मुनवा नाचे / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:56, 7 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> आसमान पर मेघा ना…)
आसमान पर मेघा नाचे
वन में नाचे मोरा ।
ठुमुक-ठुमुक-ठुम मुनुआ नाचे
जैसे नंदकिसोरा ।
हरे पेड़ पर पत्ते नाचें
डाली ऊपर फुलवा ।
टप्पर ऊपर बुंदियां नाचें
अमुवा ऊपर झुलवा ।
दसों दिशा में छननन नाचे
रे, बिजुरी का छोरा ।
चूल्हा चढ़ी बटुलिया नाचे
खंभा चढ़ी गिलहरी ।
इंदरजी का धनुआ नाचे
सतरंगी दोपहरी ।
गैया संग-संग बछड़ा नाचे
नाचे दूध कटोरा ।
ठुमुक-ठुमुक-ठुम मुनुआ नाचे
जैसे नंदकिसोरा ।