भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्मृति / संतोष मायामोहन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:34, 29 नवम्बर 2010 का अवतरण
सोनलिया रेत
मांडती है हवा
लहरें
नीर की ।
छोटी टेकड़ियाँ
धारै मछली रूप
मरुधर की स्मृति में है
सागर ।
अनुवाद : नीरज दइया